परब्रह्म
ब्रह्मांड में
परब्रह्म के दिव्य
विभूतियों के दो प्रमुख स्तर (levels) हैं: परिवर्तनीय (क्षर) और अपरिवर्तनीय (अक्षर)
अक्षर
लोक
· अक्षरब्रह्म (अक्षरपुरुष, ब्रह्म या ब्रह्मण
(Ch.8)) परब्रह्म का एक अंश
मात्र है. ब्रह्म की तीन शक्तियां:
(1) सत् (2) चित्
(3) आनन्द
· (4) ब्रह्मा (या अव्यक्तब्रह्म, विग्रह, Gita 8.18)
= ब्रह्म
के (2) चित् + (3) आनन्द शक्तियां हैं.
· ब्रह्मा
की दो
प्रमुख शक्तियां हैं—
प्रणव-ब्रह्म,PB & माया-ब्रह्म
PB की शक्तियां àOm, Gayatri, Vedas etc…
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क्षर लोक
· हिरण्यगर्भ (Golden Egg) की रचना माया
करती हैं, हिरण्यगर्भ से---प्रणव की ओंकार नाद (Om) से सक्रिय होकर---
(5) क्षरपुरुष (आदिनारायण ) प्रकट होते हैं.
· क्षरपुरुष से पुरुष (नारायण या महाविष्णु) और प्रकृति दो दिव्य तत्त्व बनते हैं.
पुरुष-प्रकृति के संयोग से (6) विष्णुलोक में
प्रकृति के 5 तत्त्वों
(verse 7.04) से अनेकों जगत का
निर्माण और संचालन होता है, तथा 24 तत्त्वों (verse 13.05-06) का पिण्ड
में चेतन-शक्ति
के संयोग से जीव का निर्माण होता
है.
इसे आगे Gita Verses 4.06, 7.04-05, 8.18, 13.05-06 में पढ़ें.
Also visin: www.gita-society.com/genesis.pdf